धन दौलत जागीर से बोल तू क्या पायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा। धन दौलत जागीर से बोल तू क्या पायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा।
हुआ है भयंकर प्रसार कोरोना पर सिखाता सभी को सदाचार कोरोना। हुआ है भयंकर प्रसार कोरोना पर सिखाता सभी को सदाचार कोरोना।
एक प्रतीकात्मक रचना जो इंगित करती है एक व्यक्तित्व को ॥॥। एक प्रतीकात्मक रचना जो इंगित करती है एक व्यक्तित्व को ॥॥।
समय दिखाता रहा अँगूठे रिश्ते झूठे नाते झूठे , फिर उन्हें निभाते रहना , अनिकेतन जीवन समय दिखाता रहा अँगूठे रिश्ते झूठे नाते झूठे , फिर उन्हें निभाते रहना , ...
हम ही पूछ लेते हैं हाल खुद का, और हमारी तरह हमें पूछता कौन है। बड़ी बेदर्द हो जाती हम ही पूछ लेते हैं हाल खुद का, और हमारी तरह हमें पूछता कौन है। बड़ी ब...
सफ़ेद बादलों के बीच घोड़ा बना,बिल्ली बनी आदमी कभी बना तो पल में एक कार है, जो है तुम सफ़ेद बादलों के बीच घोड़ा बना,बिल्ली बनी आदमी कभी बना तो पल में एक कार है...